माँ… यह सिर्फ एक शब्द नहीं, बल्कि संपूर्ण ब्रह्मांड की सबसे पवित्र भावना है। जब यह शब्द हमारे कानों में गूंजता है, तो उसमें प्रेम, त्याग, बलिदान और अनंत स्नेह की प्रतिध्वनि सुनाई देती है। माँ की ममता किसी भी परिभाषा से परे होती है, क्योंकि वह निःस्वार्थ प्रेम का सबसे सुंदर उदाहरण होती है। एक माँ न केवल अपने बच्चों को जन्म देती है, बल्कि उनका पालन-पोषण कर, उन्हें सशक्त और सफल बनाने के लिए हर संभव प्रयास करती है। माँ से ही मानव की उत्पत्ति हुई है और उन्हीं के अस्तित्व से सृष्टि का अस्तित्व जुड़ा होता है।
माँ,
तेरी ममता की छाया,
जैसे ठंडी-ठंडी छाया
हर दुख दर्द को तूने सहा,
मुझे हँसता देखा तो सब कुछ कहा।
तेरी लोरी में है जादू,
तेरी बातें सबसे प्यारी।
जब भी डर लगता है मुझको,
तेरी गोद लगे सबसे न्यारी।
तेरा आँचल जैसे आसमान,
जिसमें छिप जाते हैं ग़म सारे।
तू थक कर भी मुस्काती है,
जैसे सवेरा हो अंधियारे।
माँ, तू जीवन की वो रचना है,
जिसका कोई मेल नहीं।
तेरे बिना सब सूना-सूना,
तेरे जैसा कोई और नहीं।
सादिया फातिमा का लेख
कक्षा 7-J
